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Saturday, February 09, 2008

हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है

हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है
छोटे से कमरे में हजार सपनों को खुली सांस लेते देखा है
एक आम सी सुबह को ना जाने कैसे खास होते देखा है
हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है

बंद आंखों से सपनें तोह बहुत देखे थे
पर खुली आँख के सपनें को
हकीकत होते भी देखा है
हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है

कई सालोंकी मायूसी को
दबे पाओं गायब होते देखा है
और छुपी हुई मुस्कराहट को
पल भर में ठहाका बनते देखा है
हाँ मैंने ज़िंदगी को छू के देखा है

2 comments:

Anonymous said...

Hey Piyush......

Its so lovely...... loved it....... keep it up..... its so touching....... cheers dude!!!! :)

Ashish Arya said...

humna na socha tha ki tumna jindigi ko itna pass sa choo kar dekha hai

per jo bhi a dekha ha wo sacch hee dekha hai

haan per lakin tumna zindigi ka ek hee chera dekaha hai