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Sunday, March 09, 2008

वक्त

वक्त के घरौंदे से
एक पल ही तोह चुराया है,
और उस पल से अपने टूटे
सपनों को सजाया है।
धूप से थोडी गर्मी मांग भी ली तोह क्या,
चांदनी से उसकी ठंडक छीन ली तोह क्या,
ज़िंदगी में हमने भी बहुत कुछ गवाया है।


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