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Thursday, May 01, 2008

छोटा जादूगर

रेगिस्तान की रेत पे मानो पड़ी हों शीतल जल की कुछ बूँदें
या यूं कहूं की हुआ हो एहसास एक खूबसूरत स्वप्न का
एक पल में बदल जाती है दुनिया सुना था बचपन में,
मिली है ऐसी ही खुशी आज इस जीवन में।

आप सब यही सोच रहे होंगे की इस ढक्कन को आज क्या हो गया है। मुझे भी नहीं पता, हौज खास के इस छोटे से कमरे में आए हुए मुझे तीन महीने हो गए हैं, ऐसा नहीं है की मैं पहले कभी अकेला नहीं रहा, पर इस बार ज़िंदगी को एक नए सिरे शुरू करने की कोशिश कर रहा हूँ। कोशिश? हाँ कोशिश ही कर रहा हूँ, इस कमरे में अपनी छोटी सी सपनों की दुनिया बनाने की। जिस सुकून की तलाश में मैं अपने घर से चला था, आज मुझे पता चला की वह सुकून ज़िंदगी की छोटी छोटी खुशियों में ही छुपा है। चलिए अब मैं जादा देर तक न छुपाकर, बता ही देता हूँ की असली बात क्या है। क्यों भाई छोटे जादूगर बता दें ? :) चलो उसने भी हाँ कर दी। वैसे आपने मेरे छोटे जादूगर के बारे में तोह पूछा ही नहीं :( इन जनाब से आज ही मिला मैं। दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी से जंग के दौरान इस छोटे जादूगर से मेरी मुलाकात हुई और पहली ही नज़र में हम इनपे फ़िदा हो गए और अपने घर ले आए। लोग घर आए मेहमान को पानी पूछते हैं पर इन भाईसाहब ने तोह मुझे कुछ करने ही नहीं दिया। आते ही अपने पिटारे से ठंडी पानी की बोतल हमारे हाथों में थमा दी यह कहकर की आप गर्मी में थक गए होंगे। काश उस वक़्त आप सब होते यहाँ पर, और देखते खुशी के विस्तार को एक छोटे कमरे में। मैं जानता हूँ की आप सब मेरे छोटे जादूगर से मिलना चाहेंगे, इसीलिए उसकी एक तस्वीर यहाँ पर लगा रहा हूँ। और हाँ अब यह मेरे साथ ही रहेगा। मुझे मिल ही गया गर्मी से ज़ंग में मेरा सेनापति।


1 comment:

Unknown said...

Piyush... ur blog so generic.... long live ur chota jadugar... its so cuteeeeeeeeeeeee!!!!!!!!!

Kudos to you like always!!!