Pages

Monday, August 31, 2009

फर्क सिर्फ़ प्यार का है


फर्क सिर्फ़ प्यार का है,
ज़ंग और अमन में, आंसू और हँसी में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
रिश्तों की दूरी, अजनबी की करीबी
में फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
अनसुनी धड़कन, और दीवाने हुए मन में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
नहाए खेतों और तपती रेत में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
सूरज की गर्मी और चाँद की नरमी में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
अनसुलझे सवाल और एक खूबसूरत जवाब में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
तुझमें, मुझमें, और हम सब में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।



5 comments:

mehek said...

अनसुनी धड़कन, और दीवाने हुए मन में
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।
bahut hi sunder rachana badhai

Udan Tashtari said...

तुझमें, मुझमें, और हम सब में,
फर्क सिर्फ़ प्यार का है।

-बहुत सही!

वाणी गीत said...

बिलकुल सही ..फर्क सिर्फ प्यार का है ..!!

Piyush Aggarwal said...

aap sabka bahut bahut shukriya :)

Saurav Chakraborty said...

Mindblowing...Mindblowing!

This is your best piece yet!If this is solely your thought...then you should leave your media profession and write Hindi Poetry fulltime!