जो पूछ बैठे हम एक शराबी से शराबखाने का पता,
बोला वह की आप भी देखने से लगते हैं लापता,
इस बात पे हमने भी बोल दिया,
अरे ओ पियक्कड़-ऐ-आज़म
हमें तो है बस एक रात का गम,
पर तुम ज़रा पिया करो थोडा कम,
हिचकिचाते जिया करते हो,
कश-म-कश में पड़े रहते हो,
अब तो नाम भूल जाना भी तुम्हारी फितरत है,
न जाने तुम्हारी क्या हकीकत है ?
मेरी बात सुनकर शराबी कुछ सकपका सा गया
और फिर कुछ देर में बोला-
धुंए के छल्लों में भी हम,
नशे में डूबे हुए भी हम,
जब रूठी थी ज़िन्दगी हमसे,
ऐ दोस्त - तब कहाँ थे तुम।
रूठना तो ज़िन्दगी का काम है,
और उसे मनाना हमारा।
इस बोतल में डूबने से अच्छा है,
ज़िन्दगी में खुद को डुबो दो।
एक बार डूब जाओगे तो निकलने की ज़रुरत नहीं,
अगर कहीं भटके तो संभलने की ज़रूरत नहीं।
उठो! थाम लो ज़िन्दगी का हाथ
ले जाएगी वह तुम्हे अपने साथ।
इस धुंए की धुंध के पार,
जहाँ से सवेरा साफ़ दिखाई देता है।
जहाँ खुशियों का शोर साफ़ सुनाई देता है।
कब तक अकेले इस बोतल के जिन्न से गुफ्तगू करते रहोगे?
देखो वहां ज़िन्दगी कह कहे लगा रही है।
अरे! शायद वह इसी तरफ आ रही है।