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Saturday, May 22, 2010

भेड़ - चाल


सुनिए! सुनिए! सुनिए!
बच्चे बूढ़े और जवान आप सब सुनिए
सुनिए, इस उभरते हुए भारत की दास्ताँ
भारत के नागरिकों , आप सब सुनिए
कान लगा के सुनिए या सर घुमा के सुनिए,
पर सुनिए
यह बंदा ढून्ढ लाया है एक जवाब
जिसके लिए किये गए जाने कितने सवाल
तो हजूर जवाब है इसका सिर्फ एक - भेड़ चाल!

अब आप सब सोच रहे होंगे की पियूष को क्या हो गया है, क्या बक बक कर रहा है आज पर में ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा हूँ मन मेरा गार्डन - गार्डन हो रहा है और मैं अब क्या बताऊँ :)

अरे मियां पियूष यूँ ही उड़ते रहोगे या कुछ बोलोगे भी?

तो फिर सुनिए - हुआ यूँ की आज यकायक ही , बैठे - बैठे मन में एक सवाल उठा की हम सब लोगों की एक ही समस्या है और वह हम खुद हैं हमारी सोच और हमारे विचार हैं ध्यान से सोचिये, कोई भी समाज या राष्ट्र सिर्फ वहां के लोगों की सोच पर टिका होता है और भारत के जादातर लोगों की सोच को दो शब्दों में कहें तो वह होंगे - "भेड़ चाल" जी हाँ और कुछ नहीं बस भेड़ चाल

सरकारी तंत्र से विदेशी यन्त्र तक,
रेस्तरां के पकवान से घर की भाग्यवान तक,
सभी का नारा है,
भेड़ चाल!

चलता है तो चलने दो,
कोई मरता है तो मरने दो,
अरे भाई तुम क्यूँ करते हो इतना बवाल?
जब यहाँ चलता है सिर्फ,
भेड़-चाल!

राजशाहों के राज में
विक्टोरिया के ताज में,
और भारत के इस समाज में,
चलता है सिर्फ,
भेड़ चाल!

यार पियूष तुम्हारी क्या परेशानी है? जब चलता है इसी का कमाल तो फिर क्यूँ कर रहे तुम इतना बवाल? तुम भी मजे से करो भेड़-चाल :)

आपको भी कुछ आदत सी पड़ गयी है इस शब्द की फ़िक्र करें, गलती आपकी नहीं है चाहे व्यापार हो या घर गृहस्ती, हम सब ही भेड़ चाल में लगे हुए हैं क्या करें, कमबख्त ज़िन्दगी ने समय ही नहीं छोड़ा हमारे लिए हमारे यहाँ सुबह पांच बजे शुरू हुई आपा-धापी रात दस बजे बच्चों को सुलाने के बाद भी ख़त्म नहीं होती तो ऐसे में हम क्यूँ करें भेड़ चाल

बिलकुल करिए, मैं तो यह सलाह दूंगा की शेर को हटा कर भेड़ को ही हमारा राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए वैसे भी इस भेड़-चाल ने शेर का जीना तो दूभर कर ही रखा है तो ऐसे में शायद भेड़ ही समाज का कुछ उद्धार कर सकें

2 comments:

SKT said...

देखिये हमारी चीता-चाल... पहली टिपण्णी झपट ली न! राष्ट्रीय पशु, भेड़ - वाह भाई वाह !

Piyush Aggarwal said...

शुक्रिया सर! :)