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Sunday, January 23, 2011

चंद लम्हों पहले

चंद लम्हों पहले
एक मासूम दिल से मुलाकात हुई है,
कई दिन बाद आज खुद से कुछ बात हुई है

दिल की साफ़ है यह जानता हूँ मैं,
उसकी अनसुनी धडकनें पहचानता हूँ मैं

पहेली तो नहीं लगती,
वह चुलबुली बातें उसकी,
खिंचा जा रहा हूँ एक डोर से,
यह मानता हूँ मैं

कुछ तो बात है जो चेहरे पे
मुस्कान खिली हुई है,
चंद लम्हों पहले,
एक मासूम दिल से मुलाकात हुई है

कहना चाहता हूँ उस मुसाफिर से
दो पल ठहर जाने को,
अपने दिल के किसी कोने में,
एक कोना दे दे इस दीवाने को

चंद लम्हों पहले
एक मासूम दिल से मुलाकात हुई है,
कई दिन बाद आज खुद से कुछ बात हुई है

Friday, January 21, 2011

शुरुआत

सुबह सुबह एक नयी सुबह की शुरुआत करें,
आओ एक बार फिर शुरू से शुरुआत करें,
चलो साथ में ही कुछ मिलके शुरुआत करें,
आओ कुछ शुरू करने की शुरुआत करें

शुरुआत करना आसान तो नहीं,
पर शुरुआत करने में हर्ज़ भी नहीं,
शुरुआत करके देखें तो ज़रा,
क्यूंकि पिछली शरुआत से दिल नहीं भरा

जो शुरू हुआ तो थमेगा यह सिलसिला,
चुपके से देगा यह शुरू करने का हौंसला,
अब ले ही चुके हो शुरू करने का फैसला,
तो शुरू करने में अब कैसी देर भला

जानता हूँ की तुम शुरुआत करने से डरते हो,
पर फिर भी हर बार शुरू तुम ही करते हो,
पर जब मैं शुरू से शुरू करता हूँ,
तुम अपनी हर शुरुआत से मुकरते हो

खैर छोडो अब पुरानी बातों को क्यूँ याद करें,
थामें हाथ और एक बार फिर शुरू से शुरुआत करें,
शुरू करके हम तुम देखेंगे माजरा,
बिना शुरुआत आखिर क्यूँ वक़्त बर्बाद करें

सुबह सुबह एक नयी सुबह की शुरुआत करें,
आओ एक बार फिर शुरू से शुरुआत करें

Sunday, January 16, 2011

कुछ दीवानापन अब भी बाकी है

जी हाँ, कुछ दीवानापन अब भी बाकी है,
इन गुमसुम हैरान नज़रों में कहीं।
सोच में हूँ।
ढून्ढ रहा हूँ उन पंखों को,
बचपन में लगाया करता था।
पर समय के साथ,
उड़ना जान गया हूँ।
यकीं कीजिये,
थोडा दीवानापन अब भी बाकी है।



पूछ के तो देखिये,
इस दीवानेपन की हद क्या है?
हमारा जवाब यही होगा,
डूब के तो देखिये,
हाथ थाम के तो देखिये,
खुद ही जान लोगे,
इस सिरफिरे में थोडा दीवानापन अब भी बाकी है।


देखते हैं कब तक मानोगे,
हवाओं के थमने तक ही सही,
वक़्त के रुकने तक ही सही,
एक दिन इस दीवाने को पहचानोगे,
वादा है,
ख्वाब में भी ढून्ढ पाओगे,
क्या करें?
आखिर थोडा दीवानापन अब भी बाकी है